कोरोना पार्ट 2
साथियों कोरोना ने पूरी दुनिया को लाइलाज कर दिया है अर्थात अभी तक पूरी दुनिया में इस बीमारी का कोई वैक्सीन नहीं बन पाया है!
एक तरफ पूरी दुनिया के लोग मेडिकल ट्रिटमेन्ट के माध्यम से इस बीमारी का इलाज ढूंढ रहे हैं तो वहीं हमारे भारत के अद्भुत प्रधानमंत्री जी कोरोना का इलाज "ताली और थाली" बजवाने मे ढूंढ रहे हैं हम अतुल्य भारत मे रह रहे हैं!
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि "हम चाह रहे हैं कि जो लोग कोरोना का इलाज कर रहे हैं उनका ताली थाली बजाकर सम्मान करें!"
और फिर 22/03/2020 को पूरे देश के अंधभक्त बुद्धि बेच खाये लोगों ने ताली थाली बजाया!
मैं डॉक्टरों के सम्मान के खिलाफ बिल्कुल नहीं हूं वे धरती के भगवान हैं!
मैं डॉक्टरों के सम्मान के खिलाफ बिल्कुल नहीं हूं वे धरती के भगवान हैं!
बिल्कुल डॉक्टरों का सम्मान किया जाना चाहिए पर क्या केवल ताली और थाली बजाकर? क्या उन्हेंं जरूरी PPE किट, जरूरी दवा, और मास्क उपलब्ध कराये बिना ही उनका ताली थाली से सम्मान किया जाना सम्मान होगा या फिर अपमान?
दूसरी बात जब पूरी दुनिया में कोरोना महामारी का रूप ले रहा था उसी समय भारत मे 30/01/2020 पहला मरीज इंट्री किया तब भारत सरकार सो क्यों रही थी?
और फिर 24 मार्च 2020 को 21 दिन के लिए पहले चरण का लॉकडाउन घोषित कर दिया! वो भी देश भर मे दूसरे राज्यों मे फंसे मजदूरों के बारे में विचार किये बिना!
अपने "मन की बात" कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने "मजदूरों के मन" की बात अर्थात उनके रोजी रोटी के बारे में चर्चा तक नहीं की ?तब सवाल खड़ा होता है कि प्रधानमंत्री आखिर किस वर्ग के प्रधानमंत्री हैं? बहुजनों के या मुट्ठी भर चुनावों में चंदा देने वाले चंद पूंजीपतियों के?
कोरोना में सरकार आम आदमी के जीवन के साथ किस तरह मजाक कर रही है और जो डॉक्टर भ्रष्टाचार की शिकायत कर रहे हैं उन्ही डॉक्टरों के खिलाफ योगी सरकार ने किस तरह जांच बैठा दी बानगी देखें.....
1- हापुड़ के सीएमओ ने 22 अप्रैल 2020 को योगी सरकार को पत्र लिखकर बताया कि किस तरह से उनके अस्पताल में घटिया दर्जे की पीपीई किट की सप्लाई की गई थी और जो मास्क भेजी गयी थी हापुड अस्पताल को उस मास्क सप्लाई करने वाली कंपनी का नाम *मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन* था इस कंपनी ने जो मास्क भेजा था उस मास्क की कीमत केंद्र सरकार ने ₹16 तय किया था परंतु उक्त कंपनी रेट से अधिक ₹19 में मास्क अस्पताल को बेच रही थी जिसकी "शिकायत हापुड़ के सीएमओ" ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से की परन्तु कोई कार्रवाई नहीं की गयी उल्टे उन्हीं के खिलाफ जांच बैठा दी गयी, यह पहली घटना है!
2- इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के "महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा" (डीजीएमई) ने भी एक पत्र लिखकर अस्पताल को घटिया पीपीई सप्लाई किए जाने की शिकायत उन्होंने किया, ज्यों ही उन्होंने इस पत्र को मीडिया में सार्वजनिक किया अर्थात घोटाले का उन्होंने ज्योंही पर्दाफाश किया, योगी सरकार ने आनन-फानन में जिन अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की शिकायत की उन्हीं अधिकारियों अर्थात हापुड़ के सीएमओ, और उत्तर प्रदेश के महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा(DGME) के खिलाफ टास्क फोर्स (STF) को जांच हेतु इस मामले को सौंप दिया!
अब आप विचार करें एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी डॉक्टरों का सम्मान करने की बात करते हैं , वहीं दूसरी तरफ डॉक्टरों को ही पीपीई किट और मास्क जैसी मूलभूत आवश्यक इक्विपमेंट में भी भ्रष्टाचार कराया जाता है क्या यह डाक्टरों का सम्मान है या फिर अपमान है ? या फिर डॉक्टरों की जिंदगी के साथ क्या यह खिलवाड़ नहीं है?
जबकि होना तो यह चाहिए था कि भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी!
पर अफसोस ऐसा नहीं हुआ और न होता दिख रहा है कहां गया मोदी सरकार के सुशासन का नारा?
अब आप विचार करिये कि क्या आप कोरोना से सुरक्षित हैं? क्या आप सरकार के सुरक्षा आश्वासन पर भरोसा कर सकते हैं?
जारी........
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