भारत मे कोरोना से ज्यादा भूखमरी से मरेंगे?

 कोरोना पार्ट -1
24 मार्च 2020 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा कोरोना बीमारी को भारत के लिए महामारी (पेनडैमिक) घोषित करते हुए लॉकडाउन की घोषणा किया गया!
  यह सत्य है कि कोरोना बीमारी ने करीब करीब पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है जिसकी वजह से दुनिया  भर के देशों से (आज दिनांक 01/05/2020 तक) 3,310,039 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हैं! और 234,143 लाख लोगों की मौत हो चुकी है! जिसमे से 3,5043 कोरोना केस अकेले भारत मे है! जिसमे से भारत मे 1154 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है तथा संक्रमित लोगो की संख्या लागातार बढती ही जा रही है!
   दूसरी बात क्या भारत के प्रधानमंत्री द्वारा पर्याप्त बचाव के उपाय किये जा रहे हैं?  क्या भारत में सभी लोगों के प्राणों की कीमत समान है? या फिर अलग-अलग जातियों के आधार पर अलग-अलग लोगों के प्राणों की कीमत है? क्या कोरोना ने भारत के अस्पतालों की कुव्यवस्था की पोल खोल दी है? आइए इन्हीं बातों की हम पड़ताल करते हैं......
     भारत दुनिया की पांचवीं अथवा छठवीं अर्थव्यवस्था होने का दंभ भरता है अगर हम दुनिया की पांचवीं या छठवीं अर्थव्यवस्था में शामिल हैं तो सबसे बड़ा प्रश्न यह खड़ा होता है कि इस अर्थव्यवस्था में भारत के शोषित पीड़ित लोग कहां खड़े हैं? इस अर्थव्यवस्था में उनका स्थान कहां है ?  सच्चाई तो यह है कि आम नागरिक होने की कीमत आम आदमी आज भी चुका रहे हैं?
   भारत के प्रधानमंत्री ने 24 मार्च 2020 को पहले चरण के लॉकडाउन की घोषणा की जो बिना तैयारी के था तथा प्रधानमंत्री महोदय अपने आपको चाय वाले का बेटा कहते हैं, मजदूरों का बेटा कहते हैं, गरीबों का बेटा कहते हैं, परंतु देशभर में प्रवासी गरीब मजदूर दूसरे राज्यों को गए हुए मजदूर, जो रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे राज्यों में फंसे थे उनके बारे में चर्चा क्यों नहीं की? उनके बारे में लॉकडाउन की घोषणा करने के पहले विचार क्यों नहीं किया? क्यों उनको भूखों मरने के लिए छोड़ दिया गया? उनकी रोजी-रोटी पर विचार क्यों नहीं किया? क्या थाली इसिलिए बजवाई ताकि मजदूर अपनी  थाली में रोटी पाने के लिए तरस जाय? रोटी कमाने गया मजदूर रोटी पाने की आस में मर जाए? उसके परिवार के लोग रोटी पाने के चक्कर में मौत को गले लगा ले? बिल्कुल ऐसा ही हो रहा है!
      1-  एक तरफ मजदूर रोटी के लिए मर रहा है वहीं दूसरी तरफ मजदूरों का बेटा कहलाने वाले भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी अन्य वीवीआईपी लोगो के लिए कोरोना के इस संकट की घड़ी में भी 8458 करोड़ की लागत से 2 बोइंग विमान 777 और 300 ईआर खरीदे जा रहे हैं और इसके लिए बकायदा 2020 के बजट में 810 करोड़ का आवंटन भी कर दिया गया है यह विमान ट्रंप के विमान से कम नहीं है! एक तरफ इस लॉकडाउन में लोग दो वक्त की रोटी के लिए तरस गए हैं वहीं दूसरी तरफ करोड़ों रुपए की लागत से विमान खरीदना क्या जरूरी था? क्या यह जरूरी नहीं था कि विमान खरीदने की बजाय वेंटीलेटर खरीदा जाता, मास्क खरीदा जाता, दवाइयां खरीदी जाती अस्पताल बनवाए जाते हैं?
  जारी है......

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