क्या मुसलमान होना गुनाह है? मुसलमान भारत का मूलनिवासी है!

मुसलमान SC/ST/OBC से धर्म परिवर्तित मूलनिवासी हैं जो भारत भूमि में पला बढा और भारत भूमि के मिट्टी में ही दफन हो जायेंगे, पर देश के शानोशौकत के खिलाफ कुछ भी उन्हें मंजूर नहीं! मुसलमानों की देशभक्त पर सवाल उठाना निरा बचकाना है बेवकूफी है! मुसलमान उतना ही देशभक्त है जितना एक ब्राह्मण, क्षत्रिय,वैश्य अथवा अनु० जाति, अनु०जनजाति, या पिछड़ी जाति !
    परन्तु आये दिन मुसलमानों को अपनी देशभक्ति साबित करनी पड़ती है अपने देशभक्त होने का सबूत देना पड़ता है, भारत ही एक ऐसा देश है जहां पर मुसलमानों को शक की निगाह से देखा जाता है, मुसलमानों पर शक किया जाता है उसकी देशभक्ति पर उंगली उठाई जाती है और बार-बार उसके देशभक्त होने का प्रमाण मांगा जाता है और मुसलमानों को गद्दार होने का तमगा आए दिन चंद कट्टरवादी RSS जैसे संगठन के लोग मुसलमान को दे देते हैं!
 "बहुजन क्रांति मोर्चा" के राष्ट्रीय संयोजक मान्यवर "वामन मेश्राम साहब" ठीक ही कहते हैं!
www.tpsgnews.com से साभार
 कि "तुम हमसे देशभक्ति का  सर्टिफिकेट मांगते हो तुम हमें देशभक्त होने का सर्टिफिकेट देते हो हम खड़े-खड़े तुम्हारे देश भक्ति के सर्टिफिकेट पर पेशाब करते हैं!"
    जो ब्राह्मण विदेशी है जो डीएनए के आधार पर साबित हो चुका है, 21 मई 2001 को ब्राम्हणों के विदेशी होने का एक शोध प्रकाशित हो चुका है आर्य ब्राह्मण अपने को विदेशी होने का साहित्यिक और पुरातात्विक प्रमाणों पर भले ही भ्रामक दलील दें , परंतु डीएनए शोध के आधार पर यह साबित हो चुका है कि ब्राह्मण भारत का रहने वाला नहीं है! इस विषय में उटाह विश्वविद्यालय (साल्ट लेक सिटी अमेरिका) के डॉक्टर माइकल बामशाद और आंध्र प्रदेश के आंध्र विश्वविद्यालय विशाखापत्तनम के मानव शास्त्र के प्रोफ़ेसर भास्कर राव के संयुक्त अनुवांशिक शोध डीएनए (DNA) रिसर्च ने प्रमाणित कर दिया है, कि भारत के ब्राह्मणों का डीएनए यूरोप के मूल निवासियों के डीएनए से 99.98 प्रतिशत मेल खाता है!
यह शोध आंध्र प्रदेश से आठ विभिन्न वर्ग बनाकर 265 पुरुषों से नमूने एकत्र किए गए पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में 400 अलग-अलग जातियों के नमूनों के साथ उनका तुलनात्मक अध्ययन किया गया, महाद्वीपीय जन समुदाय से तुलना करने के उद्देश्य से अफ्रीका, एशिया और यूरोप महाद्वीप में 350 लोगों के नमूने एकत्र किए गए!
     इस प्रकार सभी नमूनों का विश्लेषण करने के पश्चात या निष्कर्ष निकला कि ब्राह्मण भारत का मूल निवासी नहीं है !
 
               इसी प्रकार ब्राह्मणों के विदेशी होने का एक और शोध किया गया और इस शोध के अगुआ डॉक्टर जय दीक्षित महोदय थे जो स्वयं पुणे के चितपावन ब्राह्मण हैं और डॉक्टर जय दीक्षित ने शोध किया और शोध करने के बाद उन्होंने एक खबर पुढारी मराठी दैनिक अखबार में दिनांक 24/10/ 2007 को प्रकाशित कराया इस खबर को "बामसेफ" ने अपने साप्ताहिक पत्रिका "बहुजनों का बहुजन भारत" के जनवरी 2008 के तीसरे अंक में प्रकाशित भी किया इससे भी साबित हो गया कि ब्राम्हण भारत का रहने वाला है नहीं है वह विदेशी है!
        भारत का ब्राह्मण मुसलमानों को विदेशी कहता है मानता है जबकि मुसलमानों के विदेशी होने का कहीं कोई किसी भी प्रकार का पुरातात्विक और साहित्यिक अथवा डीएनए आधारित प्रमाण है ही नहीं, जबकि ब्राह्मणों की विदेशी होने का प्रमाण है !

 और जो ब्राह्मण भारत का मूल निवासी नहीं है अर्थात विदेशी है वह आर्य ब्राह्मण मुसलमानों को कहता है कि तुम विदेशी हो हैरान करने वाली बात है कि एक विदेशी ब्राह्मण भारतीय लोगों को विदेशी कहता है जो खुद कभी भारत को अपना देश नहीं समझा, भारत के नागरिकों को कभी अपना नागरिक नहीं माना, छुआछूत ऊंच नीच जाति पात जैसे तमाम खामियां पैदा किया, इंसानों को इंसान नहीं माना, अछूतों को जानवरों की जिंदगी जीने से के लिए मजबूर किया !

देश भर मे मुसलमानों की हत्या-

   मुसलमानों को जगह-जगह भीड़ द्वारा गाय के नाम पर मोब्लीचिंग द्वारा मारा जा रहा है आपने देखा होगा !
पहलू खान को राजस्थान में मारा गया है!
 अखलाक को  विसाहडा में मारा गया है!
 अलीमुद्दीन को मारा गया!
अकबर उर्फ रकबर को मारा गया!
 नजीब जंग को जेएनयू से गायब कर दिया गया!
 अफराजुल को जंगल में जला दिया गया !
 जुनैद के ट्रेन में मारा गया!
आसिफा को मंदिर में मारा गया,!
मिनहाज और तस्लीम को हिरासत में मारा गया!
 09/04/2019 को असम के विश्वनाथ जिले मे  शौकतअली को गौ मांस बेचने के शक में पीटा गया और सूअर का मांस खिलाया गया!
27 मई 2019 को हरियाणा के गुरुग्राम में बिहार के बेगूसराय निवासी बरकत आलम जो नमाज पढ़कर जा रहे थे तो टोपी को लेकर कमेंट करके उनको पीटा गया !
27 मई 2019 को लखनऊ में ही कामरान नामक एक मुस्लिम व्यक्ति पर खौलता हुआ तेल फेंक दिया गया!
 18 जून 2019 को झारखंड के खरसावां जिले में तबरेज अंसारी को भीड़ ने जय श्री राम का नारा लगाकर उसे मार डाला!

 29 जून 2019 को अलीगढ़ से बरेली जा रहे मोहम्मद फरमान नियाजी की टोपी देखकर ट्रेन में जातिवादी टिप्पणी कुछ लोग करने लगे और इस पर उन्होंने विरोध किया तो ट्रेन में ही उन लोगों ने मारा पीटा और टोपी ट्रेन के बाहर फेंक दिया चश्मा तोड़ दिया ट्रेन में बैठे हुए यात्री चुपचाप यह सब तमाशा देखते रहे और फरमान नियाजी को तब तक पीटा गया जब तक वह बेहोश नहीं हो गया!
 2 जुलाई 2019 को 3 बच्चों के बाप सनाउल्लाह को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया मार्क्सिस्ट के पूर्व कार्यकर्ता व तृणमूल कांग्रेस के वर्तमान कार्यकर्ता बप्पा घोष नामक व्यक्ति ने सनाउल्लाह एक को बुलाया और कहा कि यह बाइक स्टार्ट करो जब सनाउल्लाह बाइक स्टार्ट करने लगे तब पहले से मौजूद ब्राम्हणवादी लोगो ने वीडियो बनाया और यह आरोप लगाया कि या बाइक लेकर भाग रहा था और सनाउल्लाह से को पीट-पीटकर मार डाला गया!
             उत्तर प्रदेश के शामली के रहने वाले मोहम्मद ओवैसी दिनांक 28/08/ 2019 को दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर कान में लगाने वाला ईयरफोन खरीदने गए परंतु पैकेट खोलने के बाद उसे उन्होंने वापस करना चाहा जिस से नाराज दुकानदार और वहां कुछ लोग इकट्ठे होकर पीट-पीट कर उनकी हत्या कर दी!
     
     इन घटनाओं को देखने के बाद प्रतीत हो रहा है कि भारत मुसलमानों के लिए मोब्लीचिंग देश बन गया है! मुसलमानों के खिलाफ एक सुनियोजित अभियान चल रहा है जिसके शिकार लागातार मुसलमान हो रहे हैं!
 और अधिकांश बुद्धिजीवी मुसलमान इन फासीवादी ताकतों के खिलाफ  कानून रूप से लड़ने की बजाय चुपचाप किनारे रहकर तमाशा देख रहे हैं!
 तथा मीडिया मुसलमानों के खिलाफ दंगा भड़काने में अहम योगदान अदा करता है इसका जीता जागता उदाहरण तबलीगी जमात का मामला है! मीडिया वालों ने कोरोना को धार्मिक रंग दे करके यह साबित करने का प्रयास किया कि  कोरोना मुसलमानों की वजह से भारत भर में फैला है!
अतः जितनी जल्दी हो सके भारत के न्यूज़ चैनल वाले मीडिया को भारत के मुसलमान देखना बंद करें और जितनी जल्दी हो सके सोशल मीडिया जैसे यूटयूब, व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम वगैरह को चलाने का प्रयास करें यह आपकी मीडिया हैं, बहुजनों की मीडिया है, मूल निवासियों की मीडिया हैं!
      दूसरी तरफ छोटे छोटे मामलों में बात बात पर संज्ञान लेने वाला सुप्रीम कोर्ट मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर अक्सर साइलेंट ही रहता है और ऐसा आभास कराता है कि वह उन सब सवर्णवादी मानसिकता के लोगों के पक्ष में खड़ा है, हो भी क्यों ना इसका कारण यह है कि सुप्रीम कोर्ट में मुसलमान जज नहीं है!
   यह बात भी समझ से परे है  बुद्धिजीवी मुसलमान सुप्रीम कोर्ट में अपनी संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व की मांग क्यों नहीं करते हैं ? मुसलमानों के खिलाफ अन्याय का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि उनका प्रतिनिधित्व जज के पदों पर है ही नहीं या है तो नहीं के बराबर!
    मुसलमान यदि इन फासीवादी ताकतों से निपटना चाहते हैं तो उन्हें एक काम करना होगा उन्हें अनुसूचित जाति , जनजाति और पिछड़ी जाति के लोगों के साथ कौमी एकता अर्थात इत्तेहाद कायम करना होगा अगर ऐसा नहीं करते हैं तो निश्चित तौर पर मुसलमानों के खिलाफ आने वाले समय में और भी बुरा होने वाला है क्योंकि फासीवादी ताकतें अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ी जाति के लोगों को ही सामने खड़ा करके और मुसलमानों की कुटाई पिटाई करवा रहे हैं!
यह समय की मांग की है!!




   

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